PURAANIC SUBJECT INDEX (From Nala to Nyuuha ) Radha Gupta, Suman Agarwal & Vipin Kumar
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Puraanic contexts of words like Nishaa / night, Nishaakara, Nishumbha, Nishadha, Nishaada, Neeti / policy etc. are given here. निवेश वायु ६९.३९/२.८.४०(यक्षों के कईं गणों में से एक )
निशठ ब्रह्माण्ड २.३.७१.१६६(बलदेव के एक पुत्र का नाम, उल्मुक - भ्राता), विष्णु ५.२५.१९(निशित : बलदेव व रेवती - पुत्र, उल्मुक - भ्राता), हरिवंश २.१०३.२४(बलराम व रेवती - पुत्र ) nishatha
निशा ब्रह्माण्ड ३.४.३२.९(महानिशा : महाकाल की ३ शक्तियों में से एक), मत्स्य १२२.७१(कुश द्वीप की ७ नदियों में से एक, अन्य नाम सीता), वायु ६९.२०५/२.८.१९९(क्रोधा की पुत्रियों में से एक, पुलह - भार्या), स्कन्द ५.१.१८.६( ब्रह्मा द्वारा रात्रि/निशा/एकानंशा देवी को शिव - पार्वती की सुरत में विघ्न डालने के लिए प्रेरित करना ) ; द्र. रात्रि nishaa
निशार लक्ष्मीनारायण ३.२०४.२(निशार ग्राम के काष्ठहार जाङ्गलदेव भक्त का वृत्तान्त )
निशाकर वामन ९०/९१.४५(कोशकार द्विज का मूक पुत्र, सूर्पाक्षी हरण प्रसंग में कोशकार के पूर्वजन्म का वृत्तान्त , पूर्व जन्म में निशाकर के व्याघ्र व गर्दभ रूप), वा.रामायण ४.५१+ (पङ्ख जलने पर सम्पाती गृध्र द्वारा निशाकर मुनि के दर्शन व सान्त्वना प्राप्ति), ४.६०.८(सम्पाती का निशाकर ऋषि से मिलन), ४.६१(सम्पाती द्वारा निशाकर मुनि को अपने पङ्ख जलने का कारण बताना), ४.६२(निशाकर मुनि द्वारा सम्पाती को राम के भावी कार्य में सहायता देने के लिए जीवित रहने का निर्देश आदि ) nishaakara
निशाचर विष्णुधर्मोत्तर १.८२.३७ (ग्रह विशेष के निशाचरों के नाम )
निशीथ ब्रह्माण्ड ३.४.३३.१२(निशीथा : षोडशावरणाब्ज में स्थित १६ शक्तियों में से एक), भागवत ४.१३.१४(पुष्पार्ण व दोषा के ३ पुत्रों में से एक), स्कन्द ३.३.१२.२०(निशीथ काल में गङ्गाधर द्वारा रक्षा की प्रार्थना), द्र. वंश ध्रुव
निशुम्भ गणेश २.७६.१३ (सिन्धु व विष्णु के युद्ध में निशुम्भ का पवन से युद्ध), देवीभागवत ५.२१.१०(शुम्भ व निशुम्भ भ्राता - द्वय द्वारा ब्रह्मा से नारी के सिवाय अन्यों से अवध्यता के वर की प्राप्ति), ५.२१.४३(इन्द्र से युद्ध में निशुम्भ की पराजय, शुम्भ द्वारा इन्द्र पर विजय), ५.३०( शुम्भ - भ्राता, चण्डिका द्वारा वध), पद्म ६.६.९१(जालन्धर - सेनानी, रुद्रों से युद्ध), ६.१२.२(जालन्धर सेनानी, महाकाल से युद्ध), ६.१०१(जालन्धर सेनानी, कार्तिकेय से युद्ध), मार्कण्डेय ८५.१/८२.१(शुम्भ - निशुम्भ दैत्यों से पीडित देवों द्वारा विष्णु माया देवी की स्तुति), ८८.२३/८५.२३(देवी द्वारा शिव को दूत बनाकर शुम्भ - निशुम्भ के पास भेजना), ८९.४/८६.४(शुम्भ - निशुम्भ का सेना सहित देवी से युद्ध व मृत्यु), वामन ५५.२(दनु व कश्यप - पुत्र, शुम्भ व नमुचि - भ्राता, नमुचि की मृत्यु पर शुम्भ व निशुम्भ द्वारा देवताओं पर विजय, भ्राता - द्वय द्वारा कौशिकी / विन्ध्यवासिनी देवी की प्राप्ति के लिए असुर दूतों का प्रेषण), ५६.१३(शिव द्वारा शिवदूती देवी का संदेश शुम्भ - निशुम्भ को देना), ५६.३३(निशुम्भ का देवी कात्यायनी/कौशिकी से युद्ध व मरण), वायु ६७.७७/२.६.७७(वैरोचन असुर - पुत्र गवेष्ठी के ३ पुत्रों में से एक), स्कन्द २.४.२२.२(जलन्धर द्वारा माया से सृष्ट गौरी का निशुम्भ द्वारा वध किए जाते देखने पर शिव द्वारा शुम्भ - निशुम्भ को गौरी के हाथों मृत्यु का शाप), लक्ष्मीनारायण १.३२८.६(निशुम्भ के षडानन से युद्ध का उल्लेख ), द्र. जलन्धर/जालन्धर nishumbha
निश्चय अग्नि ३४८.८(एकाक्षर कोश में ण वर्ण के निश्चय व निष्कर्ष हेतु प्रयोग का उल्लेख), कथासरित् ७.३.३(वणिक् - पुत्र निश्चयदत्त द्वारा शृङ्गोत्पादिनी यक्षिणी की सहायता से अनुरागपरा विद्याधरी को प्राप्त करने के लिए किए गए उद्योग का वृत्तान्त ) nishchaya
निश्चर ब्रह्माण्ड ३.४.१.७९(११वें मन्वन्तर/तीसरे सावर्णि मनु के समय के सप्तर्षियों में से एक )
निश्चल गरुड १.२१.७ (निश्चला : ईशान की कलाओं में से एक), ब्रह्माण्ड १.२.३६.१८(स्वारोचिष मन्वन्तर के सप्तर्षियों में से एक )
निश्च्यवन मत्स्य ९.८(स्वारोचिष मन्वन्तर के सप्तर्षियों में से एक )
निषध अग्नि ३४१.१८(नृत्य में १८ संयुत करों में से एक निषध का उल्लेख), गरुड २.२२.५८/२.३२.११२(पिण्ड में ब्रह्माण्ड के न्यास के संदर्भ में ऊर्ध्वभाग में निषध की स्थिति का उल्लेख), गर्ग ७.१८.४५(निषध देश के राजा वीरसेन द्वारा प्रद्युम्न को भेंट देने का उल्लेख ), पद्म १.८.१५७(अतिथि - पुत्र, नल - पिता, इक्ष्वाकु वंश), १.४०.९७ (मरुत का नाम, मरुत्वती - पुत्र), ३.३०.१(निषध नगर वासी हेमकुण्डल वैश्य व उसके २ पुत्रों का वृत्तान्त), ब्रह्म १.१६.३३(मेरु के दक्षिण में स्थित केसराचलों में से एक), ब्रह्माण्ड १.२.१६.३२(निषधा : विन्ध्याचल से निर्गत नदियों में से एक), १.२.१७.३४(निषध में नागों के वास का उल्लेख), २.३.३९.८(परशुराम द्वारा शक्ति से निषधराज का वध), भागवत ९.२२.४ (निषधाश्व : कुरु के चार पुत्रों में से एक), मत्स्य १२.५२(अतिथि - पुत्र, नल - पिता), १७१.५३(निषधन : धर्म व मरुत्वती से उत्पन्न मरुतों में से एक), लिङ्ग १.५२.४५ (निषध पर्वत पर नागों का वास), वराह ८३ (निषध पर्वत के उपपर्वतों व नदियों के नाम), वामन ९०.१३ (निषध देश में विष्णु का अमरेश्वर नाम से वास), वायु ४१.४८(पश्चिम् दिशा में स्थित निषध पर्वत के महत्त्व का कथन), ४५.१०२(निषधा : विन्ध्याचल से नि:सृत नदियों में से एक), स्कन्द ३.३.९.१४(निषधराज - पत्नी सीमन्तिनी द्वारा वधू वेश धारी ब्रह्मचारी को वास्तविक वधू बनाने का वृत्तान्त), ३.३.१३.६३(निषधराज चन्द्राङ्गद द्वारा स्वकन्या का विवाह दशार्ण के राजपुत्र भद्रायु से करने का वृत्तान्त), ४.१.१.५६ (निषध पर्वत की निरुक्ति : ओषधि से रहित), हरिवंश १.१५.२७ (अतिथि - पुत्र, नल - पिता), कथासरित् १२.१९.१४२(विद्याधर द्वारा स्वपुत्री को शाप देकर निषध अद्रि को जाने का उल्लेख ; विद्याधरी पुत्री द्वारा शाप के अन्त होने पर निषध अद्रि को जाने का कथन), १३.१.८०(निषध देश की प्रशंसा ) ; द्र. नैषध nishadha
निषाद पद्म २.३८.३६(वेन की सव्य बाहु के मन्थन से निषाद की उत्पत्ति), भागवत ४.१४.४३(वेन की ऊरु के मन्थन से निषाद की उत्पत्ति आदि), वराह १५३.५(नैमिषारण्य निवासी निषाद द्वारा मथुरा में यमुना में स्नान से राजा बनने का वृत्तान्त), वायु २१.४३/१.२१.४०(२०वें कल्प में निषाद का जन्म, कल्प व स्वर द्वारा निषाद नाम प्राप्ति), ४७.८१(विन्ध्य से प्रतिहत गङ्गा का लौटकर निषाद आदि जातियों के प्लवन करने का कथन), ९६.१८४/२.३४.१८४(श्राद्धदेव के निषध जाति के मूल पुरुष होने, निषादों द्वारा पोषित होने व एकलव्य के नाम से विख्यात होने का कथन), लक्ष्मीनारायण १.३४४.९(मथुरा में संयमन तीर्थ में स्नान से नैमिषारण्य निवासी दुष्ट निषाद द्वारा जन्मान्तर में राजा बनने का वृत्तान्त), कथासरित् ५.२.३३(कनकपुरी की खोज में शक्तिदेव विप्र के सत्यव्रत निषाद तक पंहुचने का वृत्तान्त ) nishaada
निष्कर्ष अग्नि ३४८.८(ण वर्ण के निष्कर्ष व निश्चय हेतु प्रयोग का उल्लेख )
निष्कल स्कन्द ५.१.६.६(देवों व योगियों द्वारा सकल - निष्कल, तपस्वियों द्वारा सकल व ज्ञानियों द्वारा निष्कल शिव के दर्शन का उल्लेख )
निष्किञ्चन लक्ष्मीनारायण ३.३४.६४(निरञ्जन भक्त द्वारा लक्ष्मी को निष्किञ्चन श्री नामक पुत्री रूप में प्राप्त करना )
निष्कुट ब्रह्माण्ड २.३.७.४०४(पिशाचों के निवासभूत स्थानों में से एक निष्कुट का उल्लेख )
निष्कुम्भ हरिवंश ३.५९(निष्कुम्भ विश्वेदेव का वृषपर्वा से युद्ध )
निष्कल पद्म १.४०(विश्वेदेव का नाम )
निष्कुलाद ब्रह्माण्ड १.२.२०.१७(अतल नामक प्रथम तल में निष्कुलाद असुर का भवन होने का उल्लेख), वायु ५०.१६(वही)
निष्कौशाम्बी गर्ग ७.२७.८(दशार्ण देश के राजा शुभाङ्ग के निष्कौशाम्बी पुरी के अधिपति होने का उल्लेख )
निष्क्रिय भागवत ३.१२.४३(संन्यासियों के ४ वर्गों में से एक), महाभारत शान्ति ३३९.३१ (निष्क्रिय पुरुष में अव्यक्त पुरुष के लीन होने का कथन )
निष्ठीवी ब्रह्माण्ड १.२.१६.२६(हिमालय से नि:सृत २२ नदियों में से एक )
निष्ठुरक वराह ५(निष्ठुरक व्याध द्वारा विप्र को अग्नि द्वारा जाल के पारण का दृष्टान्त देना), वायु ५९.१०४(निष्ठुर : आत्रेय मन्त्रकार ऋषियों में से एक), स्कन्द २.४.७.५०(दीप दान के सन्दर्भ में निष्ठुरक लुब्धक का चन्द्रशर्मा से वार्तालाप), लक्ष्मीनारायण १.५२५.७(कपिल - जैगीषव्य - अश्वशिरा राजा संवाद में कपिल द्वारा कर्म से निर्लिप्ति के संदर्भ में निष्ठुरक व्याघ्र व संयमन विप्र के द्रष्टान्त का वर्णन), कथासरित् २.२.२१(मन्त्रिपुत्र श्रीदत्त के मित्रों में से एक ) nishthuraka
निष्पाव मत्स्य ६०.८(विष्णु के वक्ष: स्थल पर स्थित सौभाग्य के भूमि पर पतन से उत्पन्न ८ द्रव्यों में से एक), स्कन्द १.२.१३.१८०(शतरुद्रिय प्रसंग में दानवों द्वारा निष्पावज लिङ्ग की दिक्पति नाम से पूजा का उल्लेख), ५.३.२६.१४६ मधूक तृतीया व्रत के संदर्भ में आषाढ में निष्पाव दान का निर्देश )
निष्प्रकम्प ब्रह्माण्ड ३.४.१.१०३(१३वें मन्वन्तर के सप्तर्षियों में से प्रथम), विष्णु ३.२.४०(३.२.४०(वही)
निसुन्द ब्रह्माण्ड २.३.५.३४(ह्राद - पुत्र, सुन्द - भ्राता), वायु ६७.७१/ २.६.७१ ह्रद - पुत्र, ह्राद - भ्राता, सुन्द व उपसुन्द - पिता), हरिवंश २.६३.७०(नरकासुर - सेनानी निसुन्द का कृष्ण द्वारा वध ) nisunda
नि:श्वास वराह ७१.५४(कलिपीडित द्विजों के लिए शिव द्वारा नि:श्वास संहिता की सृष्टि करने का कथन )
निस्स्वर विष्णु ३.२.३१(११वें मन्वन्तर के सप्तर्षियों में से एक )
नीति अग्नि
२२६ (साम,
दाम आदि नीतियां
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प्रतिकूलं तथा दैवं पौरुषेण विहन्यते ।
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