PURAANIC SUBJECT INDEX (From Nala to Nyuuha ) Radha Gupta, Suman Agarwal & Vipin Kumar
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Puraanic contexts of words like Naivedya, Naishadha, Naukaa / boat, Nyagrodha, Nyaaya etc. are given here. Comments on Nauka by Dr. Sukarma Pal Singh Tomar नैल ब्रह्माण्ड १.२.३३.४(८६ श्रुतर्षियों में से एक, बह्-वृच), २.३.७.१४८(आलम्बेय व नीला के राक्षस पुत्रों की संज्ञा )
नैवेद्य देवीभागवत ८.२४ (देवी पूजा में तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण, मास अनुसार अर्पणीय ओषधियां), पद्म ७.१९.७४(पक्षी द्वारा विष्णु नैवेद्य का भक्षण करने से स्वर्ग व ब्राह्मण योनि की प्राप्ति का वर्णन), ब्रह्मवैवर्त्त २.१०.४९(विष्णु को अनिवेदित अन्न के विष्ठा व जल के मूत्र बनने का कथन), ३.२१.११(दुर्वासा – प्रदत्त हरिनैवेद्य को इन्द्र द्वारा गजमूर्द्धा पर रखने का कथन), ३.४४.९१ (विष्णु के नैवेद्य को उदर में धारण करने से गणेश के लम्बोदर होने का उल्लेख), ४.३७ (नैवेद्य भक्षण से सनत्कुमार का पुलकित होना, शिव के नैवेद्य की अभक्ष्यता का शाप), विष्णुधर्मोत्तर १.९९ (ग्रह, नक्षत्रों के लिए नैवेद्य), शिव १.१६.१६ (पूजा में नैवेद्य अर्पण से आयु व तृप्ति की प्राप्ति का कथन), १.१६.६२ (नैवेद्य हेतु शालि अन्न की प्रशस्तता), १.१६.७१ (विशिष्ट अवसरों पर शिव को महानैवेद्य अर्पित करने के महत्त्व का कथन), १.२२ (शिव नैवेद्य भक्षण विधान), स्कन्द २.२.३८ (पुरुषोत्तम क्षेत्र में विष्णु के निर्माल्य /नैवेद्य भक्षण का माहात्म्य : नैवेद्य ग्रहण न करने से शाण्डिल्य को पीडा की प्राप्ति, उद्धार), २.३.५.३८ (बदरी क्षेत्र में नैवेद्य भक्षण की महिमा), २.५.९ (विष्णु के लिए नैवेद्य बनाने की विधि), लक्ष्मीनारायण १.५१६.५९(पार्वती द्वारा शिव के नैवेद्य भक्षण पर सारमेय होने के शाप का वृत्तान्त ), naivedya
नै:श्रेयस गर्ग ७.३०.१९ (नै:श्रेयस वन में प्रद्युम्न सेना का आगमन, वन की शोभा का वर्णन )
नैषध ब्रह्माण्ड १.२.१४.४९(आग्नीध्र के तीसरे पुत्र हरिवर्ष के राज्य का नाम), १.२.१५.३२(आग्नीध्र के तीसरे पुत्र हरिवर्ष के राज्य का नाम ; नैषध के हेमकूट से परे होने का उल्लेख), १.२.१८.५३(ह्लादिनी नदी द्वारा नैषध निवासियों का प्लावन करने का उल्लेख), मत्स्य ११४.५३( विन्ध्य पृष्ठ के जनपदों में से एक), वायु ३३.४२(नैषध वर्ष आग्नीध के पुत्र हरिवर्ष को प्राप्त होने का उल्लेख), ९९.३७६/२.३७.३७०(कलियुग में मेधा/मेघा नाम से ख्याति वाले ९ नैषध राजाओं के होने का उल्लेख), विष्णु २.१.१९(नैषध वर्ष आग्नीध्र के पुत्र हरिवर्ष को प्राप्त होने का उल्लेख), ४.२४.६६(मणिधान्यवंशियों द्वारा नैषध आदि जनपदों को भोगने का उल्लेख ) ; द्र. निषध naishadha
नैष्ठीय वायु २९.२९(वीर्यवान् उशीराग्नि का नाम )
नौका अग्नि १२१.४२ (नौका निर्माण हेतु तिथि का विचार), ब्रह्माण्ड ३.४.३५.३७(सुषुम्ना के अमृत जल में पक्षी नौका व नौकेश्वरी देवी कुरुकुल्ला का कथन), ३.४.३५.९१(सूर्य रूपी अर्घ्य पात्र में स्थित अर्घ्य रूपी अमृत में स्थित कला रूपी नौकाओं का कथन), भागवत ११.२०.१७ (देह की नौका / प्लव से तुलना, गुरु केवट / कर्णधार), ११.२६.३२(भवसागर में डूब रहे जनों के लिए सन्तों के नौका रूप होने का उल्लेख), शिव ७.२.२५.६२(पापार्णव से पार करने हेतु भक्ति रूपी नौका का उल्लेख), हरिवंश २.८८.२७(कृष्ण व उनकी नारियों द्वारा जल विहार के संदर्भ में विभिन्न आकृतियों की नौकाओं का कथन), २.८८.५७(अन्धक व वृष्णि वंशी यादवों की गृह आकृति की नौकाओं का वर्णन), ३.३५.१(यज्ञ वराह द्वारा पृथिवी को जल के ऊपर नौका की भांति स्थापित करने का कथन), योगवासिष्ठ १.१८.९ (संसार समुद्र के तारण हेतु देह रूपी नौका), लक्ष्मीनारायण १.२८३.३९ (साधु के नौकाओं में अनन्यतम होने का उल्लेख), २.६०.१०२+ (अतिवृष्टि में कृष्ण द्वारा नौका द्वारा प्राणियों की रक्षा), महाभारत आदि १४८.४(जतुगृह से निर्गत पाण्डवों का नाव में बैठकर गङ्गा पार करना), वन १८७.३१(मत्स्य द्वारा मनु को प्रलय में रक्षार्थ नौका निर्माण का परामर्श आदि), शान्ति ३२९.३८(संसार रूपी नदी के पार उतरने के उपयुक्त नौका का कथन ) naukaa
Comments on Nauka by Dr. Sukarma Pal Singh Tomar
न्यग्रोध गर्ग ५.८.३६ (कंस - भ्राता, बलराम द्वारा वध), ब्रह्म १.४३.५३(पुरुषोत्तम क्षेत्र में स्थित न्यग्रोध वृक्ष के माहात्म्य का कथन : ब्रह्महत्या से मुक्ति आदि), ब्रह्माण्ड २.३.७.११८(न्यग्रोध में यक्षों का निवास स्थान), २.३.१०.९(मेना - कन्या एकपर्णा द्वारा न्यग्रोध का आश्रय लेकर तप करने का उल्लेख), २.३.११.३६ (पुष्टि व प्रजा दायक), २.३.७१.१३३(उग्रसेन के ९ पुत्रों में से एक, कंस - अनुज), भागवत ९.२४.२४(उग्रसेन के ९ पुत्रों में से एक), १०.९०.३४(श्रीकृष्ण के १८ पुत्रों में से एक), मत्स्य ४४.७४(उग्रसेन के ९ पुत्रों में से एक, कंस - अनुज), ११३.६२ (रमणक वर्ष में न्यग्रोध रोहिण वृक्ष की स्थिति तथा महत्त्व का कथन), लिङ्ग १.४९.३३(सुपार्श्व पर्वत के द्वीपकेतु के रूप में न्यग्रोध का उल्लेख), १.४९.६४ (न्यग्रोध वन में शेष का वास), वराह ७७.२७(सुपार्श्व पर्वत के उत्तर शृङ्ग पर न्यग्रोध/वट की स्थिति), ८०.९(शुक्ल व पाण्डुर पर्वतों के मध्य दीर्घिका/वापी में स्थित न्यग्रोध वृक्ष में चन्द्रशेखर शिव के निवास का कथन), ८४.४(रम्यक वर्ष में स्थित न्यग्रोध रोहित वृक्ष के महत्त्व का कथन), वायु ६९.१५०/२.८.१४५(न्यग्रोध में यक्षों व गुह्यकों के वास का कथन), विष्णुधर्मोत्तर १.१३५.४६(उर्वशी के विरह में पीडित पुरूरवा के उर्वशी की ऋद्धि से निर्मित न्यग्रोध वृक्ष के नीचे रात्रि में वास का उल्लेख), स्कन्द २.२.१५.२१ (इन्द्रद्युम्न द्वारा नारद से नीलमाधव के दर्शन कराने के आग्रह पर नारद द्वारा न्यग्रोध रूप नारायण के दर्शन कराना), २.२.३०.२४(मार्कण्डेय वट के दक्षिण में स्थित नारायण रूपी न्यग्रोध के माहात्म्य का कथन), ५.१.५९.२९ (महाकालवन में गया तीर्थ में अक्षय नामक न्यग्रोध का कथन), ५.३.६७.७४ (कालपृष्ठ दैत्य के नाश हेतु विष्णु द्वारा न्यग्रोध वृक्ष में कन्या उत्पन्न करने का उल्लेख), ५.३.८३.७३(विप्र द्वारा नर्मदा में अस्थिक्षेप के संदर्भ में न्यग्रोध मूल के सान्निध्य में सूक्ष्म अस्थियां होने का उल्लेख), ६.१६६.१७(क्षात्र तेज वाले पुत्र की प्राप्ति के लिए चरु प्राशन के पश्चात् न्यग्रोध के आलिङ्गन का उल्लेख), ७.४.१७.१४(कृष्ण की पूजा के संदर्भ में न्यग्रोध की पूर्व द्वार पर स्थिति का उल्लेख, अन्य द्वारों पर अन्य वृक्ष), वा.रामायण ३.३५.२७ (गरुड द्वारा हस्ती व कच्छप भक्षण के लिए न्यग्रोध का आश्रय, न्यग्रोध शाखा का भङ्ग होना, रावण द्वारा न्यग्रोध का दर्शन), ६.८७.३(रावण - पुत्र इन्द्रजित् द्वारा न्यग्रोध में भूत बलि देने से भूतों में अदृश्य होने और पश्चात् युद्ध करने का कथन), कथासरित् ३.३.१०६(गुहचन्द्र की भार्या के न्यग्रोध वृक्ष पर स्थित दिव्य कन्या के साथ आसीन होने का कथन), ४.३.४०(विन्ध्यवासिनी की कृपा से सिंहपराक्रम को न्यग्रोध मूल से धन की प्राप्ति), ९.४.१२५(समुद्रशूर द्वारा न्यग्रोध वृक्ष पर गृध्र के नीड/घोंसले से अमित धन की प्राप्ति का वृत्तान्त), १०.६.५(न्यग्रोध पर निवास कर रहे काकों को उलूक द्वारा मारने की कथा ) nyagrodha
न्यङ्कु स्कन्द ७.१.३३.५४ (न्यङ्कु ऋषि द्वारा न्यङ्कु नामक सरस्वती का आह्वान), ७.१.३५.६५ (न्यङ्कु नदी की शिव द्वारा सरस्वती की सखी के रूप में उत्पत्ति ) nyanku
न्यङ्कुमती स्कन्द ७१.७.६२(प्रभास में समुद्र के उत्तर में न्यङ्कुमती नदी तक क्षेत्र पीठ होने का कथन), ७.१.२६१ (न्यङ्कुमती नदी का माहात्म्य), ७.१.२८५ (न्यङ्कुमती नदी का माहात्म्य, अगस्त्याश्रम में न्यङ्कुमती की स्थिति, अगस्त्य द्वारा वातापि व इल्वल का निग्रह), ७.१.२९०+ (न्यङ्कुमती का माहात्म्य, कुबेर द्वारा सोमनाथेश्वर पूजा से धनद बनना), लक्ष्मीनारायण १.५४४.३४ (च्यवन के न्यङ्कुमती तट पर १ वर्ष वास का उल्लेख ) nyankumatee
न्याय देवीभागवत १.१.१४(न्याय के तामस शास्त्र होने का उल्लेख), ब्रह्माण्ड १.२.३५.८७(वेदों के अङ्गों में से एक न्याय का उल्लेख), भविष्य ३.२.१८ (न्यायशर्मा : व्यसनी , चोर द्विज, शूली पर आरोपण काल में न्यायशर्मा के मोहिनी से विवाह की कथा), भागवत १०.४५.३४(कृष्ण द्वारा न्याय आदि की शिक्षा प्राप्त करने का उल्लेख ), मत्स्य ३.४(तपोरत ब्रह्मा के मुखों से प्रकट शास्त्रों में से एक), विष्णुधर्मोत्तर ३.७३.४५(न्याय के समीरण/वायु देवता का उल्लेख), लक्ष्मीनारायण ४.६४(न्यायाधीश मुकुन्द सावित्र व पत्नी न्यायाक्षिणी का वृत्तान्त : कथा श्रवण से पक्षाक्षात रोग से मुक्त होना, मोक्ष प्राप्ति ) nyaaya |